देश में इस समय भेड़िया काफी चर्चा में हैं। उत्तरप्रदेश में भेड़ियों को लेकर हल्ला मचा हुआ है। बहराइच जिले से भेड़ियों के आतंक की हर दिन खबरें सामने आ रही हैं। कहा जा रहा है कि बहराइच जिले में पिछले दो महीनों में भेड़ियों के हमलों में 10 लोगों की जान जा चुकी है। 50 से अधिक लोग घायल हुए हैं। वन विभाग ने अब तक पांच भेड़ियों को पकड़ा है।
उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव का कहना है कि भेड़ियों की समस्या का केस STF को सौंप देना चाहिए।
इस खबर में विस्तार से जानिए भेड़ियों के बारे में...
भारत में भेड़ियों का अस्तित्व करीब 10 लाख साल पहले से माना जाता है। आज यह प्रजाति अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है। इनकी संख्या भारत में बाघों से भी कम हो चुकी है। भारतीय भेड़िए ‘कैनिडे’ (Canidae) या ‘डॉग फैमिली’ का हिस्सा हैं, जिसमें भेड़िए (Wolf), सियार (Jackal) और लोमड़ी (Fox) जैसी प्रजातियां शामिल हैं।
इस परिवार में कुल 30 से अधिक प्रजातियां शामिल हैं। अक्सर लोग भेड़ियों, सियारों और लोमड़ियों के बीच फर्क नहीं कर पाते। कभी-कभी गलतफहमी में सियार या कुत्ते को भेड़िया समझकर मार भी दिया जाता है।
भारतीय भेड़िए और उनकी पहचान
तिब्बती भेड़िया (Tibetan Wolf)
भारत में भेड़ियों की दो प्रमुख उप-प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें तिब्बती भेड़िया और भारतीय भेड़िया शामिल है। तिब्बती भेड़िया हिमालय के क्षेत्रों में पाया जाता है। ठंडे वातावरण के अनुकूल इसके फर घने और लंबे होते हैं। यह अक्सर लद्दाख के इलाकों में मवेशियों का शिकार करता है, जिससे वहां के स्थानीय लोग इनसे बचाव के लिए ‘शैंगडॉन्ग’ नामक पत्थर की संरचना बनाते थे, ताकि भेड़ियों को पकड़ा जा सके। तिब्बती भेड़िए की संख्या भी कम होती जा रही है।
भारतीय भेड़िया (Indian Wolf)
भारतीय भेड़िया गंगा के मैदानी इलाकों, गुजरात और राजस्थान में पाया जाता है। यह छोटे-छोटे झुंडों में रहते हैं। झुंड में ही शिकार करते हैं। इनका रंग भूरा-काला होता है। ये आमतौर पर हिरणों को दौड़ाकर थका देते हैं। फिर उनका शिकार करते हैं। इनका आकार लोमड़ियों से बड़ा होता है। ये ज्यादातर खेतों और खुले क्षेत्रों में देखे जाते हैं।
सियार, लोमड़ी और सोनकुत्ता
गोल्डन सियार (Golden Jackal)
गोल्डन जैकाल या सुनहरे सियार भेड़ियों से आकार में छोटे होते हैं। ये ज्यादा चालाक और तेज होते हैं। इनके फर भेड़ियों की तुलना में कम घने होते हैं। सियार अक्सर गांवों के आस-पास कचरे या मृत जानवरों से अपना पेट भरते हैं। इनका थूथन और सिर भेड़ियों से छोटा होता है। ये अधिकतर शिकार करने के बजाय अवसरवादी होते हैं, यानी दूसरे जानवरों के मारे शिकार को खाते हैं।
भारतीय लोमड़ी (Indian Fox)
भारतीय लोमड़ी आकार में छोटी होती है और खेतों और इंसानी बस्तियों के आसपास देखी जा सकती है। इसकी लंबी झाड़ू जैसी पूंछ होती है, जिसका सिरा काला होता है। लोमड़ी छोटे जीवों का शिकार करती है और ये भी अवसरवादी होती हैं। इनकी संख्या भी तेजी से कम हो रही है, जिससे ये प्रजातियां संकट में हैं।
ढोल (Dhole) या सोनकुत्ता
ढोल या सोनकुत्ता भी कैनिडे फैमिली का हिस्सा हैं। इन्हें एशियाई जंगली कुत्ता कहा जाता है। ये घरेलू कुत्तों की तरह नहीं होते, बल्कि इनका आकार छोटा होता है। इनकी पूंछ घनी और काली होती है। ढोल आमतौर पर 20 तक के झुंड में रहते हैं। सामूहिक शिकार करते हैं।